अनुभूति
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Monday, 2 November 2015
सर्द मौसम और आग उगल रहा है शहर !
सर्द मौसम और आग उगल रहा है शहर !
नफरतों की घनी बसत हो गई है अब वहाँ !
मासूम बचपन मिटटी में सना है अभी भी वहीँ
चलो, प्यार की फसल फिर से उगाते हैं अब वहाँ !!
... विजय जयाड़ा 02.11.15
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