अनुभूति
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Wednesday, 11 November 2015
चिराग हमने खूब जलाये, ....
चिराग हमने
खूब जलाये,
तिरगी -ए- शब
मिट जाने तक,
आओ चिराग अब
ऐसे जलाएं__
जो रोशन करें
उजालों में छिपे
अंधेरों के____
मिट जाने तक...
विजय जयाड़ा 10.11.15
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