अनुभूति
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Saturday, 18 July 2015
साहिल पर मुन्तजिर हैं
साहिल पर मुन्तजिर हैं
ख्वाइश-ए-दीदार हम,
कभी तो लहर आएगी
तपते हैं धूप में हम__
अरमान कम नहीं हैं
जुनूं भी है इधर बहुत,
मंजिल पास आएगी
हसरत में फिरते हैं हम___
--- विजय जयाड़ा 09.07.15
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