\~\ मल्हार /~
~~~~~~~~
रिमझिम बारिश
मनभावन फुहार
वन मयूर संग
नाचे मन मयूर मन के द्वार_
घुमड़ घुमड़
बदरा उमड़े श्वेत श्याम,
सब मिल गाएँ
मधुर गीत मल्हार_
उचक-उचक देख
हरषाय मन,
बैरन लाज मोहे रोके री_
तन अब बस में नहीं, सखी !
तोड़_ लाज का पहरा
अंगना,..मैं चली_
भीगे बिन अब_
रहा न जाय री !
..विजय जयाड़ा
No comments:
Post a Comment