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Saturday, 11 July 2015

मल्हार

\~\ मल्हार /~
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 रिमझिम बारिश
मनभावन फुहार
वन मयूर संग
नाचे मन मयूर मन के द्वार_
घुमड़ घुमड़
बदरा उमड़े श्वेत श्याम,
सब मिल गाएँ
 मधुर गीत मल्हार_
उचक-उचक देख
हरषाय मन,
बैरन लाज मोहे रोके री_
तन अब बस में नहीं, सखी !
तोड़_ लाज का पहरा
अंगना,..मैं चली_
भीगे बिन अब_
 रहा न जाय री !

..विजय जयाड़ा

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