ad.

Saturday, 5 November 2016

मूढ़-मन


-- मूढ़-मन -- 


वो पास हों तो
बेचैन सा मन
कुछ कहने को
मचलता है
अंतस में उठती
भाव लहरों संग
शब्द कोष
बह जाता है
अन्तर्मन की
ऊहापोह में
कुछ कहने से
सकुचाता है
किंकर्तव्यविमूढ़
मूढ़ मन
पास होकर भी
दूर रह जाता है

.. विजय जयाड़ा


No comments:

Post a Comment