अनुभूति
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Wednesday, 6 July 2016
भीड़ बहुत है शहर में मगर
भीड़ बहुत है शहर में मगर
हर शख्स सा अकेला क्यों है !
मुखातिब है यहाँ हर कोई
अब किसकी तलाश है !
... विजय जयाड़ा
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