पावस
घुमड़ - घुमड़ घन नभ में छाए
कड़-कड़-कड़ बिजली संग लाए
दिन में हो गया घुप्प अँधेरा !
देख - देख जी सबका घबराए.
कड़-कड़-कड़ बिजली संग लाए
दिन में हो गया घुप्प अँधेरा !
देख - देख जी सबका घबराए.
अब बरसे तब बरसे बादल
लहर-लहर नभ हिचकोले खाए
देखो उधर से आई बारिश
दौड़-दौड़ सब छत नीचे आए.
लहर-लहर नभ हिचकोले खाए
देखो उधर से आई बारिश
दौड़-दौड़ सब छत नीचे आए.
झम-झम झम बारिश आई
फुदक - फुदक दादुर टर्राएं
पावस आयो ! पावस आयो !!
झूम-झूम सब मिलकर गाएं.
फुदक - फुदक दादुर टर्राएं
पावस आयो ! पावस आयो !!
झूम-झूम सब मिलकर गाएं.
इंद्र धनुष की छटा निराली
वन मयूर नाचे इतराएं
बरसे मेघा सावन आया
बच्चे कागज नाव चलाएं..
वन मयूर नाचे इतराएं
बरसे मेघा सावन आया
बच्चे कागज नाव चलाएं..
विजय जयाड़ा 16.07.16
आज सुबह घने बादलों के कारण अँधेरे और बारिश का दौर चल रहा था. कक्षा में बच्चे बहुत कम आये. सामान्य पठन-पाठन के बाद सोचा ! क्यों न बच्चों के साथ खेल-खेल में मौसम के अनुकूल कुछ सृजन किया जाय.. अध्यापक की चित्त संतुष्टि व प्रसन्नता शिक्षार्थियों में निहित प्रतिभा विकास में ही होती है.
भाषा विकास के क्रम में बच्चों के शब्द कोष मे चंद नए शब्दो, पावस, जी, घन, मेघ, हिचकोले, नभ, दादुर, मयूर, छटा का इजाफा करने की चाहत में एक प्रयास .. " पावस "