तन्हा दिल किससे कहे !
हर तरफ तन्हाइयों के मेले हैं
भीड़ बेशक साथ है मेरे
मगर हम फिर भी अकेले हैं !!
हर तरफ तन्हाइयों के मेले हैं
भीड़ बेशक साथ है मेरे
मगर हम फिर भी अकेले हैं !!
हवाओं उन तलक मेरा
पैगाम पहुंचाना तुम जरूर
खुश हैं वो बेशक उधर बहुत
हम महफ़िल में भी अकेले हैं !
शमा बुझ जाएगी जाने कब
रात फिर से ढ़लने को है
सुबह से पहले चले आओ तुम
तब तक हम अकेले है !
अकेले न वापस आ जाना !
उनको साथ में लाना तुम
इंतज़ार में खड़े हैं हम
इधर हम बिलकुल अकेले हैं !!
... विजय जयाड़ा
पैगाम पहुंचाना तुम जरूर
खुश हैं वो बेशक उधर बहुत
हम महफ़िल में भी अकेले हैं !
शमा बुझ जाएगी जाने कब
रात फिर से ढ़लने को है
सुबह से पहले चले आओ तुम
तब तक हम अकेले है !
अकेले न वापस आ जाना !
उनको साथ में लाना तुम
इंतज़ार में खड़े हैं हम
इधर हम बिलकुल अकेले हैं !!
... विजय जयाड़ा
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